Tuesday, March 19, 2024
Homeगल्फ न्यूजकतरखाड़ी सहयोग परिषद (GCC) का गठन व उद्देश्य ?

खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) का गठन व उद्देश्य ?

गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) फारस की खाड़ी के छह तेल निर्यातक देशों का एक संगठन है जिसे अरब देशों के सहयोग परिषद के रूप में भी जाना जाता है। 1981 में गठित सहकारी परिषद ने आर्थिक, वैज्ञानिक और व्यावसायिक सहयोग को बढ़ावा दिया है। 

जीसीसी का मुख्यालय सऊदी अरब की राजधानी रियाद में है जो इस परिषद का प्रमुख सदस्य भी है। 1984 में समूह ने सैन्य आक्रामकता का जवाब देने के लिए प्रायद्वीपीय ढाल सेना नामक (Peninsular Shield Force) एक सैन्य शाखा का गठन किया था। पढ़े-दुबई में कारोबार के लिये 20 स्मॉल बिज़नेस आइडिया और अवसर

खाड़ी सहयोग परिषद 

जीसीसी के सदस्य देश बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात है। ये सभी मध्य पूर्व के देश इस्लाम और इस्लामिक आस्था व अरब संस्कृतियो को साझा करते हैं। ये संगठन ओपेक OPEC सदस्यता से अलग एक आर्थिक हित भी साझा करता हैं। GCC के सभी देश तेल से अपने निभर्ता को खत्म कर बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में विविधता (diversify) लाना चाहते हैं।

प्रति व्यक्ति आमदनी के आधार पर GCC के देश दुनिया के सबसे धनी देशों में से हैं। साथ ही, वे एक तिहाई अमेरिकी तेल की आपूर्ति करते हैं और तकरीबन $ 273 बिलियन अमेरिकी ऋण की आपूर्ति भी करते हैं। पढ़ेगोल्ड कैरेट क्या हैं? 24K, 22K और 18k के बीच क्या अंतर है

जीसीसी देशों की सूची

जीसीसी के सदस्य देश,
किंगडम ऑफ बहरीन–  इस देश की जनसंख्या 1.4 मिलियन है। यहा के लोग प्रति व्यक्ति $ 51,800 जीडीपी का आनंद लेते हैं। यहाँ 124.5 मिलियन बैरल रिजर्व तेल का भंडार है।
कुवैत– इस देश की जनसंख्या 4.28 मिलियन है। यहां के लोग प्रति व्यक्ति $ 69,700 जीडीपी आनंद लेते है। यहा के लोगों को दुनिया के उच्चतम मानक का आनंद मिलता है। देश में दुनिया का 6% तेल भंडार है। जो तकरीबन 101.5 मिलियन बैरल है।
ओमान की सल्तनत– इस देश की जनसंख्या 3.4 मिलियन है। यहाँ के लोग प्रति व्यक्ति $ 45,500 जीडीपी का आनंद लेते है। निवासियों की जीवन शैली में सुधार करने के लिए पर्यटन उद्योग में बदलाव किया जा रहा है। यहाँ तेल भंडार मात्र 5.4 मिलियन बैरल है। 
कतर– इस देश की जनसंख्या 2.3 मिलियन है। यहाँ के लोग प्रति व्यक्ति $ 124,900 जीडीपी का आनंद लेते हैं। कतर दुनिया का दूसरा सबसे अमीर देश हैं। यहाँ तेल भंडार के 25.2 बिलियन बैरल है और यहा दुनिया के 13% प्राकृतिक गैस भंडार भी है। 
किंगडम ऑफ सऊदी अरबिया – इस देश की जनसंख्या  34.81 मिलियन है। यहाँ के लोग प्रति व्यक्ति $ 55,300 जीडीपी का आनंद लेते हैं। ये जीसीसी देशों में सबसे बड़ा देश है। यहा दुनिया 16% तेल का भंडार का है। जो तकरीबन 266.5 मिलियन बैरल है। 
संयुक्त अरब अमीरात यूएई देशों की कुल जनसंख्या 6 मिलियन है। यहाँ के लोग प्रति व्यक्ति $ 68,00 जीडीपी का आनंद लेते हैं। दुबई मे दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा है। संयुक्त अरब अमीरात सात देशों का संगठन है। यूएई के पास 97.8 मिलियन बैरल तेल भंडार है।

जीसीसी के लिए विश्व आर्थिक फ़ोरम की सिफ़ारिशें

विश्व आर्थिक मंच World Economic Forum ने जीसीसी सदस्यों के भविष्य पर एक अध्ययन किया है। इसने तेल के निर्भरता से विविधीकरण (Diversification) की सिफारिश की गयी है। फ़ोरम ने जीसीसी देशों को अपने लोगों को शिक्षित करने व शिक्षा के क्षेत्र मे बेहतर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जारहा है।

यहा व्यापार अनुसंधान और विकास में अधिक निवेश पर जोर देने को कहा गया है। वर्तमान में, इन देशों को अपने आवश्यकता की पूर्ति के लिए विदेशी श्रमिकों के आयात पर भी जोर दिया गया है। पढ़ेसऊदी अरब 1932 से अब तक के राजाओं व ताज-राजकुमारों की सूची व इतिहास

परिवार आधारित सल्तनत इन देशों पर शासन करता हैं। उनके नेताओं को एहसास है और उन्हे पता है की भविष्य जोखिम भरा हो सकता है। अधिकतर सरकारे देश के शासन के तरीके को बदलना ला रही है। जीसीसी के सभी राजा अपने देश के अर्थव्यवस्थाओं मे आधुनिकीकरण करना चाहते हैंपढ़े-गामका (GAMCA) मेडिकल टेस्ट संक्षिप्त गाइड व प्रश्न

रिपोर्ट में “सन्ति” परिदृश्य पर भी प्रकाश डाला गया है। जीसीसी देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने के साथ-साथ मध्य पूर्व में भी शांति बनाए रखना चाहते हैं। उदाहरण हैं सऊदी अरब, दुबई, यूएई और कतर।

क्या होगा अगर GCC के सदस्य डॉलर का निश्चित विनिमय दर (PEG) से करार खत्म कर ले?

जीसीसी देशों के पास डॉलर के लिए अपने निश्चित विनिमय दर (fixed exchange rate) PEG को छोड़ने का कारण है। लेकिन जीसीसी देशों की आधिकारिक नीति यह है कि इसे तब तक जारी रखेंगे जब तक परिषद यूरोपीय संघ की तरह एक मौद्रिक संघ (Monetary Union) नहीं बना लेते है। पढ़ेक़तर 1971 से अब के अमीरों की सूची व संक्षिप्त इतिहास

निश्चित विनिमय दर (PEG) नीति अनुसार प्रत्येक जीसीसी देश के मुद्रा को डॉलर कर साथ फिक्स्ड करता है। जब 2002 और 2014 के बीच डॉलर 40% गिर गया था तो इन देशों में 10% की मुद्रास्फीति (inflation) दर बनाई गई थी। 

इसके बाद तेल और अन्य वस्तुओं की कीमत को बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यदि उन्होंने डॉलर के साथ अपने निश्चित विनिमय दर (PEG) नीति को हटा दिया होता तो उन्हे इतने सारे भंडारों को खरीदने के लिए अपनी विनिमय दर को स्थिर करने की जरूरत नहीं होती। अमेरिकी नीति- कारण साफ है अगर डॉलर में गिरावट होती है तो,अमेरिका में महँगाई बढ़ जाएगी। पढ़े- क्या आप जानते हैं संयुक्त अरब अमीरात का कब और कैसे गठन हुआ था !

इसका मतलब यह भी है कि तेल की कीमतें भविष्य मे डॉलर में नहीं होगी। जिसके परिणामस्वरूप तेल की कीमतों मे बदलाव हो सकता हैं। लेकिन कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि संभावित निहितार्थों का आगे अध्ययन करने की आवश्यकता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments